संतकबीरनगर।जापानीज इंसेफेलाइटिस (जेई) / एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) जैसी जानलेवा बीमारियों से बचने के लिए किए गए प्रयासों के क्रम में अब स्कूली बच्चों को इंसेफेलाइटिस से बचने के लिए शपथ दिलाई जा रही है। यही नहीं इससे सम्बन्धित नारा सूअर, मच्छर, गन्दा पानी, इंसेफेलाइटिस की रचे कहानी’ के साथ ही अब नया नारा चूहा, मच्छर और छछून्दर, न आने दो घर के अन्दर जैसा नारा भी रटाया जा रहा है। ताकि बच्चों के मन मस्तिष्क पर इंसेफेलाइटिस के वाहकों और कारकों की एक स्पष्ट छवि बन जाए और इंसेफेलाइटिस का खात्मा किया जा सके। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग के साथ शिक्षा विभाग भी पूरी तन्मयता के साथ लगा हुआ है।
जिला मलेरिया अधिकारी अंगद सिंह ने बताया कि जेई / एईएस तथा संचारी रोगों से बचाव के लिए चलाए जा रहे विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान के क्रम में बच्चों के मन मष्तिस्क पर इंसेफेलाइटिस के वाहकों व कारकों की एक छवि अंकित करने के लिए नारा गढ़ा गया है। नारे बच्चों को जल्दी याद हो जाते हैं, इसलिए ऐसा किया गया है। जब बच्चे को नारा याद रहेगा तो वह सूअर और मच्छर से बचकर तो रहेगा ही, गन्दे पानी का सेवन भी नहीं करेगा। वह अन्य बच्चों को भी ऐसा न करने की हिदायत देगा। कृषि विभाग के सौजन्य से दूसरा नारा ‘चूहा, मच्छर और छछून्दर, मत आने दो घर के अन्दर’ जैसे नारे में मच्छर के साथ ही स्कूलों के साथ ही गांवों में भी चूहे तथा छछून्दरों के बारे में भी बच्चों को आगाह किया जा रहा है। साथ ही बच्चों व शिक्षकों के लिए एक शपथ तैयार की गई है। यह शपथ बच्चों के साथ ही उनके शिक्षकों के लिए भी जरुरी है। जिले के प्रत्येक स्कूल में यह शपथ रोज प्रार्थना के बाद बच्चों को दिलाई जा रही है। साथ ही इसकी मानीटरिंग भी की जा रही है। इसके लिए शिक्षकों को प्रशिक्षित भी किया गया है। प्रशिक्षित शिक्षकों के साथ ही स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारी भी इस बात की निगरानी करते हैं, कि यह शपथ का कार्यक्रम रोज स्कूलों में होता रहे। जूनियर हाईस्कूल खलीलाबाद में छठवीं की छात्रा सीमा कहती हैं कि इंसेफेलाइटिस से बचने के लिए लगाए जा रहे नारे का काफी असर है। हम अपने गांव में बच्चों को जाकर इन चीजों से बचने की सलाह देते हैं ताकि वे इंसेफेलाइटिस से बच सकें।