प्रवासी मजदूरों के छूटे हुए पाल्यों को लगेगा जेई का टीका

बस्ती। प्रवासी मजदूरों के छूटे हुए पाल्यों को जापानी इंसफलाइटिस (जेई) का टीका लगाया जाएगा। प्रदेश के महानिदेशक परिवार कल्याण ने पत्र जारी कर टीकाकरण कराए जाने को सीएमओ को निर्देशित किया है। छूटे हुए बच्चों को चिन्ह्ति करने के लिए ब्लॉकों में सर्वे कराया जा रहा है। एक साल से 15 साल तक के टीके से वंचित बच्चों को सर्वे में शामिल किया गया है। बच्चों की संख्या मालूम हो जाने के बाद भारत सरकार से प्रदेश सरकार द्वारा टीके की मांग की जाएगी।


कोरोना काल में नॉन एंडेमिक क्षेत्रों से प्रदेश के जेई प्रभावित जनपदों में बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर पहुंचे हैं। इसमें बस्ती मंडल के तीनों जिले शामिल हैं। सरकार का मानना है कि इनमें से काफी संख्या में ऐसे बच्चे हो सकते हैं, जिन्हें जेई का टीका नहीं लगा होगा। इसे देखते हुए जेई टीकाकरण का विशेष अभियान चलाए जाने का निर्णय शासन ने लिया है।


महानिदेशक परिवार कल्याण डॉ. मिथिलेश चतुर्वेदी ने सीएमओ को भेजे पत्र में कहा है कि प्रदेश कोविड-19 महामारी से ग्रसित है। इसी कोरोना काल में नियमित टीकाकरण कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है तथा शत-प्रतिशत बच्चों को टीका लगाए जाने का प्रयास किया जा रहा है। पत्र में उन्होने कहा है कि कोविड-19 के दौरान नॉन एंडेमिक क्षेत्रों से प्रदेश के जेई प्रभावित जनपदों में बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर आए हुए हैं। उनमें से बहुत से मजदूरों के बच्चे जेई टीकाकरण से छूटे हुए होंगे। विभाग का मानना है कि जिन बच्चों को जेई का टीका नहीं लगा है, उनके जेई प्रभावित जिलों में प्रवास के दौरान संक्रमित होने का खतरा बना रहेगा। इससे जेई के खात्मे के अभियान पर भी असर पड़ सकता है।


महानिदेशक परिवार कल्याण की ओर से एक फार्मेट जारी किया गया है। इसमें टीकाकरण से छूटे हुए बच्चे का नाम, पिता का नाम, उम्र, जिस जनपद व प्रदेश से बच्चा आया है, वहां का नाम दर्ज करना होगा। जिले से यह फामेर्ट सभी ब्लॉकों को भेजा गया है। इस पर सूचना एकत्र कर जिले पर कंपाइल की जाएगी। जितने बच्चों को टीका लगना है उनकी संख्या से प्रदेश को अवगत कराया जाएगा। प्रदेश से उसी संख्या के आधार पर भारत सरकार से टीके की मांग की जाएगी। टीका उपलब्ध होते ही विशेष अभियान चलाकर प्रवासी मजदूरों के बच्चों को टीका लगवाया जाएगा।


जेई का टीका नियमित टीकाकरण में भी शामिल है। जेई का विशेष टीकाकरण अभियान वर्ष 2008 से जिले में शुरू हुआ था, इसके बाद इस टीके को अन्य टीकों के साथ लगाया जाने लगा। सहायक शोध अधिकारी (एआरओ) बीएन मिश्रा ने बताया कि पहला टीका नौ से 12 माह में तथा दूसरा टीका 16 से 24 माह में लगाया जाता है। इसके अलावा दो साल से 15 साल तक के छूटे बच्चों को भी टीका लगाया जा रहा है। जिले में हर साल लगभग 85 हजार नए बच्चों को जेई का प्रथम टीका लगाया जा रहा है। टीकाकरण का असर अब देखने को भी मिल रहा है। जेई से मौत जहां नहीं हो रही है वहीं केस भी काफी कम हो गए हैं।


डॉ. फकरेयार हुसैन, जिला प्रतिरक्षण अधिकारी ने बताया कि महानिदेशक परिवार कल्याण के पत्र के क्रम में सभी एमओआईसी को पत्र जारी कर दिया गया है। प्रवासी मजदूारों के छूटे हुए बच्चों को जेई का टीका लगाया जाना है। उपरोक्त आदेश का कड़ाई से पालन कराने को कहा गया है। ब्लॉकों से जल्द से जल्द सूचना एकत्र कर प्रदेश को भेज दी जाएगी।